24 Nov 2006

नमस्कार!

नमस्कार! नमस्ते! प्रणाम!

नमस्ते! दोनों हाथों की हथेलियों को बराबर जोड़कर किया जाता है। इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि बायें हाथ में ऋणात्मक/नकारात्मक ऊर्जा और दाहिने हाथ में धनात्मक/सकारात्मक ऊर्जा होती है। जिस प्रकार विद्युत के दो तार होते हैं ऋणात्मक एवं धनात्मक, बैटरी के दो छोर होते हैं ऋणात्मक एवं धनात्मक! दोनों के संयोग होने पर ही ऊर्जा उत्पन्न होती है और बॉल्व जलता है। उसी प्रकार दोनों हाथों को जोड़कर नमस्ते करने का विधान है जिससे तन एवं मन ऊर्जस्वी होता है और सामने वाला व्यक्ति प्रसन्न होता है तथा उसकी अन्तर्रात्मा से स्वतः आशीर्वाद प्रस्फुटित होकर प्रसारित होता है। उसके मन में नमस्ते करने वाले व्यक्ति के प्रति यदि कोई नकारात्मक विचार हों तो वे सद्भावना में बदल जाते हैं।

1 comment:

Anonymous said...

नमस्कार का यह वैज्ञानिक तथ्य तो पता ही नहीं था। बताने के लिए आपका धन्यवाद और चिट्ठा जगत में स्वागत।