24 Nov 2006

पूर्णविराम और स्पेस

पूर्णविराम(।) या दण्ड वाक्यान्त का प्रतीक है। पूर्णविराम के पहले कभी स्पेस (space=खाली स्थान) टाइप नहीं करना चाहिए। क्योंकि जहाँ पंक्ति के अन्त में किसी शब्द के बाद स्पेस और फिर पूर्णविराम आता है तो अक्सर वह शब्द पंक्ति के अन्त में और पूर्णविराम अगली पंक्ति के प्रथम शब्द के रूप में प्रकट होता है, जो गलत है। पूर्णविराम के पहले उपयुक्त स्पेस इस चिह्न की फोंट डिजाइनिंग में ही अन्तर्निहित होता है। पूर्णविराम के बाद एक स्पेस (खाली स्थान) अवश्य छोड़ना चाहिए।

इसी प्रकार अर्द्धविराम (,) अल्पविराम (;) प्रश्नवाचक चिह्न (?) छन्दविराम या पैरा-विराम या डबल दण्ड (॥) संक्षेपक चिह्न abbreviation mark (॰) दशमल्लव चिह्न (.) विस्मयबोधक चिह्न (!) आदि चिह्नों के पहले भी कदापि स्पेस (खाली स्थान) नहीं छोड़ना चाहिए। इनके बाद एक स्पेस (एक अक्षर का खाली स्थान) टाइप करना आवश्यक है। किन्तु दशमल्लव चिह्न के पहले या बाद में कहीं भी स्पेस टाइप नहीं करना चाहिए, अन्यथा एक संख्या टूट कर दो संख्याओं में बदल जाएगी।

नमस्कार!

नमस्कार! नमस्ते! प्रणाम!

नमस्ते! दोनों हाथों की हथेलियों को बराबर जोड़कर किया जाता है। इसका वैज्ञानिक आधार यह है कि बायें हाथ में ऋणात्मक/नकारात्मक ऊर्जा और दाहिने हाथ में धनात्मक/सकारात्मक ऊर्जा होती है। जिस प्रकार विद्युत के दो तार होते हैं ऋणात्मक एवं धनात्मक, बैटरी के दो छोर होते हैं ऋणात्मक एवं धनात्मक! दोनों के संयोग होने पर ही ऊर्जा उत्पन्न होती है और बॉल्व जलता है। उसी प्रकार दोनों हाथों को जोड़कर नमस्ते करने का विधान है जिससे तन एवं मन ऊर्जस्वी होता है और सामने वाला व्यक्ति प्रसन्न होता है तथा उसकी अन्तर्रात्मा से स्वतः आशीर्वाद प्रस्फुटित होकर प्रसारित होता है। उसके मन में नमस्ते करने वाले व्यक्ति के प्रति यदि कोई नकारात्मक विचार हों तो वे सद्भावना में बदल जाते हैं।